Indian Defence Forces: रक्षा मंत्रालय ने लद्दाख में अतिरिक्त गोला बारूद स्टोरेज क्षमता बनाने के लिए मंजूरी मांगी है। यह कदम सैन्य यूनिट्स की तैनाती के दौरान गोला-बारूद की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। पूर्वी लद्दाख में हानले और फोती ला जैसी जगह पर स्टोरेज सुविधा स्थापित करने का प्रस्ताव है
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय लद्दाख में अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए और गोला-बारूद रखने की जगह बनाने की तैयारी कर रहा है। हमारे सहयोगी अखबार ET को मिली जानकारी के अनुसार, इससे सैन्य यूनिट्स को ऑपरेशनल तैनाती के दौरान गोला-बारूद की उपलब्धता बेहतर होगी। यह प्लान खासतौर पर पूर्वी लद्दाख के उन इलाकों के लिए बनाया जा रहा है जो चीन की सीमा से सटे हैं। इन इलाकों में गलवान घाटी भी शामिल है जहां 2020 में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
लद्दाख में गोला-बारूद का स्टोरेज!
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, लद्दाख में गोला-बारूद स्टोरेज और बढ़ाने के अलावा, सुरक्षा बलों ने लुकुंग में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए भी अहम प्रस्ताव भेजे हैं। लुकुंग पैंगोंग त्सो झील के किनारे बसा एक गांव है। इसके अलावा, सुरक्षा बलों का प्लान दुर्बुक इलाके में भी उपस्थिति बढ़ाने की है। अप्रैल और जुलाई 2023 के बीच भेजे गए ये प्रस्ताव पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।
सुरक्षा बलों का खास प्लान
डिफेंस फोर्स का कहना है कि लद्दाख के फॉरवर्ड इलाकों में, खासकर ऑपरेशन के शुरुआती फेज में, लड़ाकू सामान का होना बेहद जरूरी है। जो प्रस्ताव भेजे गए हैं उनमें हानले और फोती ला के पास रणनीतिक स्थानों पर फॉर्मेशन एम्युनिशन स्टोरेज फैसिलिटी (FASF) स्थापित करना शामिल है।
अंडरग्राउंड गुफा बनाने की भी योजना
इसके अलावा, स्ट्रेटजिक लोकेशन के अन्य स्थानों पर भूमिगत गुफाएं बनाने की भी योजना है। यह वही इलाका है जहां वर्तमान में सैन्य यूनिट्स तैनात हैं। खासकर हानले, पुंगुक, फोती ला और पूर्वी लद्दाख के कोयुल जैसे अग्रिम क्षेत्रों में। वर्तमान में, यहां अधिकांश गोला-बारूद को अस्थायी तरीके से स्टोर किया जाता है।
गलवान के बाद सिक्योरिटी फोर्सेज बनाई रणनीति
हानले से लगभग 250 किलोमीटर और फोती ला से लगभग 300 किलोमीटर दूर ये हथियारों का स्टोरेज हैं। जिसकी वजह से अगर अचानक जरूरत हो तो आपूर्ति में बाधाएं पैदा हो जाती है। सुरक्षा बलों का मानना है कि एक उचित फॉर्मेशन एम्युनिशन स्टोरेज फैसिलिटी (FASF) के निर्माण से गोला-बारूद का पर्याप्त भंडारण और पर्यवेक्षण सुनिश्चित होगा। इसके साथ ही, एक्शन समय भी कम होगा। इससे ट्रांसपोर्टेशन आवश्यकताओं के मद्देनजर यूनिट्स की तेजी से तैनाती हो सकेगी।