पृष्ठभूमि: पहलगाम हमला
22 अप्रैल 2025 को, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकवादी हमले में 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी। इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया। भारत सरकार ने इस हमले को "राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा हमला" करार दिया और इसके जवाब में कड़ी कार्रवाई का संकल्प लिया।
ऑपरेशन सिंदूर: लक्ष्य और क्रियान्वयन
7 मई 2025 को, भारतीय वायुसेना ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में नौ स्थानों पर सटीक हवाई हमले किए। इन हमलों का उद्देश्य जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों के ठिकानों को नष्ट करना था।
भारतीय वायुसेना ने इस अभियान में राफेल लड़ाकू विमानों का उपयोग किया, जो SCALP और AASM हैमर मिसाइलों से लैस थे। यह अभियान लगभग 23 मिनट तक चला, जिसमें आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाकर नष्ट किया गया।लक्षित स्थान
ऑपरेशन सिंदूर के तहत निम्नलिखित स्थानों पर हमले किए गए:
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मुज़फ़्फ़राबाद (पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर)
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कोटली (पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर)
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बहावलपुर (पाकिस्तान)
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मुरीदके (पाकिस्तान)
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सियालकोट (पाकिस्तान)
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भिंबर (पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर)
इन स्थानों पर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर, नियंत्रण केंद्र और हथियार भंडार स्थित थे।
परिणाम और प्रभाव
भारत के अनुसार, इस अभियान में 70 से अधिक आतंकवादी मारे गए और 60 से अधिक घायल हुए। पाकिस्तान ने इन हमलों को "युद्ध की कार्रवाई" करार दिया और जवाबी कार्रवाई में पांच भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने का दावा किया, जिसे भारत ने खारिज कर दिया।Wikipedia
पाकिस्तान ने भी भारत के नियंत्रण वाले कश्मीर में गोलाबारी की, जिसमें तीन भारतीय नागरिकों की मौत हो गई। इसके अलावा, पाकिस्तान ने अपने पंजाब प्रांत में आपातकाल घोषित किया और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को निलंबित कर दिया।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस सहित कई देशों ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से तनाव कम करने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने का आग्रह किया।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीति का प्रतीक है। यह अभियान न केवल पहलगाम हमले का जवाब था, बल्कि यह भी संदेश था कि भारत अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। हालांकि, इस तरह के सैन्य अभियानों से क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।